भारतीय सिनेमा के एक समय में ऐसे खलनायकों की भरपूर छाप थी जो नाम भर से ही दर्शकों को भयभीत कर देते थे। अमरीश पुरी, प्राण, रणजीत, कुलभूषण रंधावा और अमजद खान जैसे कलाकारों ने अपने किरदारों के माध्यम से दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी। उनमें से एक खलनायक ऐसा भी था जो कभी चिल्लाता नहीं था, लेकिन निगेटिव रोल में वह बखूबी फिट बैठता था। रजनीकांत जैसा बड़ा सितारा उसके बिना कोई फिल्म नहीं बनाता था।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। जब हम किसी खलनायक के बारे में सोचते हैं, तो हमारे मन में एक डरावने लुक और गंभीर आवाज की छवि बन जाती है। लेकिन 80 के दशक में एक ऐसा खलनायक आया जिसने इस परिभाषा को पूरी तरह से बदल दिया। उन्होंने अपने करियर की अधिकांश फिल्मों में खलनायक का किरदार निभाया, लेकिन न तो उनका डरावना चेहरा था और न ही भयानक लुक, उनके पास सिर्फ एक गहरी, भारी आवाज थी जिसमें एक अद्भुत गहराई थी।
बिना चिल्लाए ही, उनके दमदार डायलॉग ने दर्शकों पर एक अमिट छाप छोड़ी। लोग उनकी फिल्म देखकर थर-थर कांपने लगे, जबकि सितारों के बीच वह पसंदीदा बन गए। सिल्क स्मिता के साथ अपनी पहली हिट फिल्म देने वाले इस अभिनेता के बिना रजनीकांत किसी फिल्म में काम नहीं करते थे। आइए जानते हैं उस खतरनाक विलेन के बारे में, जो रजनीकांत के लिए लकी चार्म बने:
इस खलनायक ने 200 से अधिक फिल्मों में किया काम
“पैसों में बहुत गर्मी होती है, उसे बर्दाश्त करना सीखो वरना जल जाओगे..”, “जो बिकता नहीं वो मेरे सामने टिकता नहीं” जैसे बेहतरीन डायलॉग्स से आप समझ सकते हैं कि हम किसकी बात कर रहे हैं। यदि नहीं, तो हम बता दें कि हम 80 और 90 के दशक के मशहूर विलेन ‘रघुवरन’ के बारे में बात कर रहे हैं।
11 दिसंबर 1958 को केरल में जन्मे रघुवरन ने अपने करियर की शुरुआत 1982 में तमिल फिल्म ‘यरुवधन मनिथन’ से की, जिसे समीक्षकों की सराहना मिली और राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। रघुवरन ने हिंदी और साउथ की फिल्मों समेत कुल 200 से अधिक फिल्मों में काम किया।
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सिल्क स्मिता के साथ इस फिल्म ने बदली किस्मत
हालाँकि रघुवरन की पहली फिल्म भी हिट हुई, लेकिन इससे उन्हें खास लाभ नहीं मिला। उनके करियर का टर्निंग पॉइंट तब आया जब उन्होंने 1983 में साउथ की फिल्म ‘सिल्क-सिल्क-सिल्क’ में नेगेटिव कैरेक्टर निभाया, जिसे दर्शकों ने बहुत पसंद किया। इसके बाद से उनके पास केवल खलनायकों के किरदार ही आते गए।
उन्होंने नागार्जुन, ममूटी, मोहनलाल और कमल हासन जैसे बड़े सितारों के साथ स्क्रीन शेयर किया और 90 के दशक तक साउथ सिनेमा में एक महत्वपूर्ण नाम बन गए।
रजनीकांत के बिना नहीं करते थे कोई फिल्म
रजनीकांत के साथ रघुवरन की जोड़ी जबर्दस्त जमी। उन्होंने ‘शिवाजी: द बॉस’, ‘बाशा’, ‘अरुणाचलम’, और ‘राजा चिन्ना रोजा’ जैसी कई सफल फिल्मों में साथ काम किया। कहा जाता है कि एक समय ऐसा था जब रजनीकांत ने निर्देशकों से स्पष्ट कर दिया था कि जिस फिल्म में वह हीरो होंगे, उस फिल्म में विलेन केवल ‘रघुवरन’ ही होंगे। यही कारण है कि मेकर्स ने रघुवरन को लगभग हर फिल्म में खलनायक के तौर पर कास्ट किया।
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दिलीप कुमार की इस फिल्म में विलेन बनकर छा गए रघुवरन
रघुवरन ने साउथ सिनेमा में विलेन बनकर अपनी छाप छोड़ी और उनके शानदार अभिनय के करण बॉलीवुड में भी उनकी चर्चा हुई। 1990 में उन्हें ‘इज्जतदार’ में काम करने का मौका मिला, जिसमें दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार ने मुख्य भूमिका निभाई थी।
इसके बाद उन्होंने नागार्जुन के अपोजिट फिल्म ‘शिवा’ में काम किया, जो उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। इसके बाद रघुवरन ने ‘रक्षक’, ‘हिटलर’, अमिताभ बच्चन के साथ ‘लाल बादशाह’ और 2001 में ‘ग्रहण’ जैसी फिल्मों में भी काम किया, जिसमें उन्होंने नाना पाटेकर को रिप्लेस किया था। ऐसे में रघुवरन एकमात्र ऐसे अभिनेता हैं जिन्होंने हिंदी के अलावा साउथ की सभी भाषाओं में फिल्में की।
शराब की लत ने छीन ली जिंदगी
अपने करियर में निरंतर सफलता की सीढ़ियां चढ़ते रहे प्रसिद्ध विलेन रघुवरन का महज 39 वर्ष की आयु में निधन हो गया। कहा जाता है कि उनका निधन शराब की लत के कारण हुआ, जिसके चलते उनके दो अंग फेल हो गए थे। रघुवरन का निधन 19 मार्च 2008 को हुआ।