जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद फिर से चुनी हुई सरकार आ गई है। नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) गठबंधन के साथ सरकार बनाने जा रही है। ऐसे में सभी की नजर इस पर टिकी हुई हैं कि क्या उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में बन रही सरकार शहीदी दिवस, दरबार मूव बहाल करा पाएंगे, क्या शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की जयंती पर रद्द अवकाश फिर से लागू करेंगे, क्या शेर-ए-कश्मीर पुलिस वीरता पदक व शेर-ए-कश्मीर पुलिस उत्कृष्ट सेवा पदक भी फिर से मिलेगा या नहीं?
सरकार की असली चाबी उपराज्यपाल के पास
चुनाव प्रचार के दौरान नेकां ने दशकों तक चले कई निर्णय को फिर से बहाल करने का जनता को विश्वास दिलाया था। ऐसे में संभवता बुधवार को बनने जा रही नई सरकार के लिए अपना एजेंडा लागू करना आसान नहीं होगा। क्योंकि सरकार की असली ‘चाबी’ उपराज्यपाल प्रशासन के पास है। बता दें कि इन फैसलों को अनुच्छेद 370 हटने के बाद उपराज्यपाल प्रशासन ने रद्द कर दिया था।
13 जुलाई को मनाया जाता था शहीदी दिवस
पांच अगस्त 2019 से पूर्व जम्मू-कश्मीर में हर वर्ष 13 जुलाई को शहीदी दिवस मनाया जाता था। पूरे प्रदेश में राजकीय अवकाश रहता था। शहीदी दिवस कश्मीर में 13 जुलाई 1931 को महाराजा हरि सिंह के खिलाफ हुए कथित विद्रोह में मारे गए लोगों की याद में मनाया जाता था।
पांच दिसंबर को शेख अब्दुल्ला जिन्हें शेर-ए-कश्मीर कहा जाता है, की जयंती होती है। नेकां ने सत्ता में रहते उनकी जयंती पर राजपत्रित अवकाश घोषित किया था। उनके नाम पर वीरता और उत्कृष्ट सेवाओं के लिए दिए जाने वाले पदकों का नामकरण किया था।