उदय जगताप, नई दिल्ली। जागरण फिल्म फेस्टिवल में पहुंची मशहूर अभिनेत्री रिद्धि डोगरा (Ridhi Dogra) ने बताया कि उन्हें दिल्ली में सुरक्षा की कमी महसूस हुई थी, इसलिए उन्होंने मुंबई का रुख किया। कमला नेहरू कॉलेज में पढ़ाई करते समय उन्हें कॉलेज आने-जाने में असुरक्षितता का अनुभव होता था। पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री हासिल करने के बहाने वह मुंबई चली गईं, जहां उन्हें अपने करियर को बनाने का एक बड़ा अवसर मिला।
पहनावे और भाषा पर रिद्धि का नजरिया
फिल्म से संबंधित अपने विचार साझा करते हुए, रिद्धि ने कहा, “मुझे साबरमती हादसे के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी थी, लेकिन फिल्म देखने के बाद मैंने बहुत कुछ नया सीखा। यह फिल्म राजनीति पर नहीं, बल्कि पत्रकारिता पर आधारित है। किसी भी मुद्दे को चाहे जितना भी बदला जाए, तथ्य हमेशा सही ही रहेंगे।”
उन्होंने हिंदी भाषा के महत्व पर भी जोर दिया: “अंग्रेज़ी ब्रिटिश राज की भाषा है। पहले लोग इसके पहनावे को अपनाते थे और बाद में भाषा को। हमें अंग्रेजी का मूल्यांकन जरूर करना चाहिए, लेकिन अपनी भाषा और संस्कृति को प्राथमिकता देनी चाहिए।”
फिल्म में एक महत्वपूर्ण सीन हुआ था काट
रिद्धि ने बताया, “मेरी एक महत्वपूर्ण सीन फिल्म से काट दिया गया, जिसमें मैंने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था। आपके किरदार की मजबूती जरूरी है, उसके बाद आपकी एक्टिंग इसमें जान डालती है। सिर्फ डायलॉग बोलना अभिनय नहीं होता है; फिल्म में आपको 200 प्रतिशत मेहनत करनी होती है।”
ट्रोल्स को देती हैं करारा जवाब
महिलावाद पर नयनदीप के सवाल का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा, “फेमिनिज्म का उद्देश्य पुरुषों के खिलाफ होना नहीं है, बल्कि असमानता के खिलाफ है। लोग इसे गलत तरीके से पुरुषों के खिलाफ मान लेते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। पुरुष महिला विरोधी नहीं होते, लेकिन समाज उन्हें ऐसा बना देता है। जब पानी को दबाकर रखा जाता है, और फिर अचानक छोड़ दिया जाता है, तो उसका बहाव तेज होता है। वर्तमान में महिलाओं के मामलों में भी ऐसा ही हो रहा है।” दर्शकों के ट्रोलिंग के सवाल पर उन्होंने गर्व से कहा, “मैं दिल्ली की गुंडी हूं और जिस तरह के ट्रोल आएं, उन्हें मैं जवाब देती हूं।”
Ridhi Dogra- Instagram
कला की कद्र पर रिद्धि का विचार
रिद्धि ने कहा, “मैं जागरण फिल्म फेस्टिवल में आकर बहुत खुश हूं। मैं फिल्म फेस्टिवल में आने वाली फिल्मों का अनुसरण करती हूं। फिल्म फेस्टिवल का आयोजन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि विदेशों में कला की कद्र होती है। हमारे देश में जीवनयापन की जद्दोजहद अधिक होती है। कला तक पहुंचने का एक लंबा रास्ता है। सिनेमा को लोगों के सामने लाना बहुत जरूरी है, ताकि लोग विभिन्न कहानियों और किरदारों को देख सकें। जब आप तुर्की, वियतनाम या ईरान की कहानियों को देखते हैं, तो आपकी स्वीकार्यता बढ़ती है और आप एक व्यक्ति के रूप में और मजबूत बनते हैं।”
पिता का समर्थन
अभिनेत्री ने बताया, “मेरे पिता ने हमेशा मेरा समर्थन किया, और यही वजह है कि मैं आज यहां हूं। जब मैं दिल्ली में थी, तब मैं डांस को लेकर ही सोचती थी। मैंने शामक डावर से सीखा था। वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने मुझसे कहा कि मुझे कैमरे पर आना चाहिए। तब मैं बहुत छोटी थी। डांसर बनना चाहती थी, लेकिन जब मैं मुंबई पहुंची तो डांस में करियर बनाना मुश्किल था, इसलिए मैंने कुछ अलग करने का निश्चय किया।”
Ridhi Dogra
रिद्धि ने कहा, “सिनेमा एक तेजी से बदलने वाला क्षेत्र है। इसमें लगातार बदलाव हो रहा है। इसमें निवेश अधिक होता है, इसलिए विषय चुनते समय सावधान रहना पड़ता है। फिल्में क्रिएटिव काम की एक बड़ी जगह देती हैं और समाज में बदलाव लाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। टीवी घर की चाय की तरह है, जो सुबह और शाम दोनों समय चाहिए होता है, लेकिन फिल्में काफी की तरह हैं।”
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