JFF 2024: सिनेमा को इतने सालों के लिए टैक्स फ्री करना जरूरी, Sudhir Mishra ने साझा की अपनी राय

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। सिनेमा हमें हंसाने, रुलाने और विचार करने का मौका देता है, साथ ही यह जीवन के अनुभवों को साझा करता है। यह लोगों को एकजुट करता है और एक प्रकार से जनसेवा का कार्य करता है। बेहतर फिल्म निर्माण के लिए इसे टैक्स से मुक्त किया जाना चाहिए, ऐसी मांग फिल्ममेकर सुधीर…

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। सिनेमा हमें हंसाने, रुलाने और विचार करने का मौका देता है, साथ ही यह जीवन के अनुभवों को साझा करता है। यह लोगों को एकजुट करता है और एक प्रकार से जनसेवा का कार्य करता है। बेहतर फिल्म निर्माण के लिए इसे टैक्स से मुक्त किया जाना चाहिए, ऐसी मांग फिल्ममेकर सुधीर मिश्रा ने सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में आयोजित जागरण फिल्म फेस्टिवल के उद्घाटन पर की।

सिनेमा और फिल्म निर्माताओं को मिलने वाले अवसर

‘चमेली’, ‘अर्जुन पंडित’ और ‘अफवाह’ जैसी बेहतरीन फिल्मों के निर्देशक सुधीर मिश्रा ने कहा,

“सिनेमा को कम से कम पांच साल के लिए टैक्स फ्री किया जाना चाहिए। बेहतर निर्माण के लिए यह जरूरी है कि सिनेमा और फिल्म निर्माताओं को अवसर मिले। यह तभी संभव होगा जब यह टैक्स से मुक्त हो। यह कब तक संभव होगा, यह कहा नहीं जा सकता, लेकिन मैं जहां कहीं भी मौका पाऊं, इस मुद्दे को उठाता रहूंगा।

फोटो क्रेडिट- X अकाउंट

निर्माताओं की दखलंदाजी पर सुधीर मिश्रा का विचार

जागरण फिल्म फेस्टिवल के बारे में उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन स्वतंत्र सिनेमा के विकास में योगदान करते हैं। ये छोटे शहरों को विविध स्तरों पर पोषण प्रदान करते हैं। उन्होंने फिल्म निर्माण में निर्माताओं की दखलंदाजी के मुद्दे पर भी अपनी चिंताएं व्यक्त की।

सुधीर मिश्रा ने निर्देशक के रूप में अपनी यात्रा की शुरुआत करने से पहले स्क्रीन राइटर के रूप में काम किया। उन्होंने 1983 में फिल्म ‘जाने भी दो यारों’ की कहानी लिखी थी, जो ब्लैक कॉमेडी थी और जिसे कुंदन शाह ने निर्देशित किया था। इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह, रवि बासवानी, ओम पुरी और पंकज कपूर जैसे अभिनेता मुख्य भूमिकाओं में थे।

सुधीर मिश्रा की फिल्म

फोटो क्रेडिट- IMDB

इसके बाद उन्होंने ‘मोहन जोशी हाजिर हो’ और ‘खामोश’ जैसी फिल्मों की कहानियां भी लिखीं। 1987 में सुधीर मिश्रा ने अपनी पहली फिल्म ‘ये वो मंजिल तो नहीं’ का निर्देशन किया, जिसमें पंकज कपूर, सुष्मिता मुखर्जी और नसीरुद्दीन शाह ने अभिनय किया। इस फिल्म को आलोचकों से काफी प्रशंसा मिली, लेकिन यह बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हो सकी।

फिल्म फेस्टिवल में शामिल होने वाले सितारे

आज रिद्धि डोगरा, भुवन बाम और भूमि पेडणेकर जैसे सितारों के साथ खास बातचीत होगी। ‘गोदान’, ‘मंजुम्मेल ब्वायज’, ‘व्हाइट एंड ड्रेस’, ‘मल्हार’, और ‘ए लैब स्टोरी’ जैसी फिल्मों की चर्चा होगी।
टिकट बुक करने का तरीका: फिल्म फेस्टिवल में प्रवेश के लिए, आप ‘बुक माय शो’ से दैनिक या पूरे कार्यक्रम का पास बुक कर सकते हैं। आयोजन स्थल पर भी टिकट खरीदने की सुविधा उपलब्ध है।
आडिटोरियम कैसे पहुंचें: सिरी फोर्ट आडिटोरियम ग्रीन पार्क और हौज खास मेट्रो स्टेशन के करीब है। ग्रीन पार्क मेट्रो स्टेशन से पैदल या हौज खास मेट्रो स्टेशन से ऑटो लेकर आसानी से पहुंचा जा सकता है। डीटीसी बस से भी यहां पहुंचा जा सकता है।
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